Disaster in Jharkhand lightening .. झारखंड में आपदा वज्रपात JPSC pre paper II
2) वज्रपात
( झारखंड में आपदा)
JPSC PRE P II
🇮🇳वज्रपात से जुड़े तथ्य🇮🇳
* वज्रपात की घटनाओं में 96 प्रतिशत मौतें ग्रामीण इलाकों में
* इनमें 77 प्रतिशत पीड़ितों में किसान
* झारखंड में वज्रपात से हर साल 250 से 300 लोग जान गंवा देते हैं।
• मौसम विभाग के अनुसार आसमान से तीन प्रकार से बिजली गिरती है। आसमान में
👉 इंट्रा क्लाउड.... बादल के अंदर ही वज्रपात
👉 इंटर क्लाउड... दो बादलों के बीच में वज्रपात
👉 क्लाउड टू ग्राउंड.... भूमि तक पहुंचने वाले वज्रपात
स्पष्ट है कि क्लाउड तो ग्राउंड जमीन तक पहुंचाने के कारण पृथ्वी के वासियों के लिए नुकसानदायक होते हैं.
🇮🇳 झारखंड और वज्रपात 🇮🇳
वज्रपात झारखंड का सबसे बड़ा प्राकृतिक आपदा माना जाता है. नए शोध से ज्ञात हुआ है कि वज्रपात के कारण ग्लोबल वार्मिंग भी हो रही है और प्राकृतिक संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
झारखंड में प्रत्येक वर्ष लगभग चार लाख ठनका गिरने की घटनाएं होती हैं जिसके चलते राज्य में पिछले 40 वर्षों में दो डिग्री तापमान में वृद्धि हुई है. आने वाले 20 वर्षों में भी एक डिग्री तापमान वृद्धि हो सकते हैं.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी वज्रपात की संख्या में भी वृद्धि हुई है. इसके अलावा झारखंड एक पठारी प्रदेश
( 400-600 m) से और यहां पर moist डिसेड्यूअस वन पाए जाते हैं जिनके लंबे-लंबे वृक्ष भी वज्रपात को आकर्षित करते हैं.
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