JPSC MAINS लोकसभा के 750 seats पर होंगे चुनाव 2029 में
🌹RENESHA IAS🌹
An ARTICLE BY RAVI SIR
(DIRECTOR RENESHA IAS)
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कोरोना के कारण वर्ष 2021 में जनगणना नहीं हो पाई. अब केंद्र सरकार के द्वारा इसे 2027 में कराने का प्लान है.
भारतीय जनगणना अब 2027 से पहले संभव नहीं होंगे. भारतीय जनगणना delay होने के कारण क्या-क्या समस्याएं आ रहे हैं? जनगणना करने में लेट क्यों हुई?
👉 सरकारी योजनाओं का बेहतर तरीके से निर्माण और क्रियान्वयन नहीं
👉 जनगणना के डाटा नहीं होने के कारण उद्योग जगत को कई तरीके के समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है
👉 जनगणना के डाटा नहीं आने के कारण परिसीमन का कार्य रुका हुआ है. परिसीमन के अभाव में महिला आरक्षण विधेयक भी लागू नहीं हो पाएगा.
👉 भारत के वास्तविक जनसंख्या की जानकारी नहीं मिल पा रही है इसके अलावा वर्तमान में भारत के शिक्षा, सेक्स रेशो, एवं अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं.
🇮🇳 2027 में ही जनगणना कराने का निर्णय क्यों लिया गया?🇮🇳
भारत सहित सभी राज्यों की लोकसभा और विधानसभा की सीटें 2026 तक नहीं बढ़ाई जा सकती हैं.
👉 2002 में संविधान के 84वें संशोधन के तहत यह व्यवस्था की गई थी.
इस संशोधन के तहत 2026 के पहले के चुनावों में लोकसभा या किसी भी राज्य में विधानसभा की सीटों में वृद्धि पर रोक लगा दी गई है. ताकि देश की जनसंख्या पर नियंत्रण लाया जा सके.
👉 वर्तमान में देशभर में सीटों का वितरण 1971 की जनगणना के आधार पर है.
इस कारण अगर 2026 तक जनगणना होती है तो परिसीमन का कार्य 2026 के जनगणना के आधार पर संभव नहीं होगा. लेकिन अगर 2026 के बाद है जनगणना होती है तो परिसीमन का कार्य 2027 के अनुसार संभव है. संभवतः यही कारण है कि केंद्र सरकार के द्वारा 2027 में जनगणना करने का निर्णय लिया गया है.
2008 में भी परिसीमन किया गया था लेकिन केवल जनसंख्या के आधार पर लोकसभा और विधानसभा के क्षेत्र में थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए थे लेकिन लोकसभा के सीटों की संख्या यथावत रखी गई थी.
लोकसभा का अगला चुनाव 2029 में होगा. उसे समय 750 सीटों के आधार पर चुनाव होने की संभावना है. इसके अलावा नारी वंदना अधिनियम के अनुसार महिलाओं को 33% सीटों को आरक्षित भी करना है.
🇮🇳 दक्षिणी राज्यों का विरोध किस मुद्दे पर है? 🇮🇳
दक्षिणी राज्यों के द्वारा 1971 के बाद जनसंख्या नियंत्रण में उत्तरी राज्यों के अपेक्षा ज्यादा सफलता प्राप्त की गई है. इन राज्यों को प्रतीत होता है कि अगर परिसीमन सिर्फ 2027 की जनसंख्या के आधार पर कर दिया गया तो उन्हें लोकसभा के सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा. इसके कारण दक्षिणी राज्य 2027 के जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन का विरोध कर रहे हैं.
लेकिन केंद्र सरकार के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि
" दक्षिणी राज्यों को किसी तरीके का नुकसान नए परिसीमन में नहीं होने दिए जाएगा... दूसरे शब्दों में नए लोकसभा के सीटों के निर्धारण में सिर्फ जनसंख्या को महत्व नहीं दिया जाएगा बल्कि कुछ अन्य मानक भी शामिल किए जाएंगे"
🇮🇳मेरी सलाह🇮🇳
जनगणना नहीं होने के कारण कई तरीके की समस्याएं उत्पन्न हो गए हैं.
👉 1971 के अपेक्षा देश की जनसंख्या अत्यधिक बढ़ चुके हैं. यही कारण है कि नई संसद में भी लगभग 800 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है.
जनता के सभी वर्गों के उचित प्रतिनिधित्व के लिए लोकसभा और विधानसभाओं के सीटों में वृद्धि आवश्यक हो गए हैं इसमें विलंब नहीं किया जाना चाहिए.
👉 जनगणना कराने में लेट करने की जगह 2026 से पहले वाले जनगणना के आधार पर परिसीमन की व्यवस्था आवश्यक संविधान संशोधन के द्वारा कर दी जानी चाहिए.
अगर दक्षिणी राज्य जनसंख्या को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं तो उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए ना कि सजा. केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर जरूर गंभीर होगी.
जनसंख्या वृद्धि दर की एक लिमिट निर्धारित की जानी चाहिए जिससे अधिक वृद्धि दर करने वाले राज्यों के लोकसभा सीटों की संख्या कम की जानी चाहिए.
वर्तमान में सीमित संसाधनों को देखते हुए केंद्र सरकार को भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक नए कानून पर विचार जरूर करना चाहिए. इसके माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न की जाए और जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग देने वाले व्यक्तियों को कुछ विशेष सरकारी सुविधाएं प्रदान की जाए.
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RAVI SIR
DIRECTOR
RENESHA IAS
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