अमेरिका द्वारा तांबा पर 50% शुल्क

अमेरिका के द्वारा तांबा आयात पर 50% शुल्क लगाए जाने और वैश्विक तांबा बाजार में बढ़ती अनिश्चिता के बीच भारत ने अपनी तांबा आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है. 
      इसके अंतर्गत वर्ष 2047 तक भारत तांबा उत्पादन में 6 गुना वृद्धि करेगा जबकि स्मेल्टिंग और रिफायनिंग क्षमता में 2030 तक 50 लाख टन प्रतिवर्ष की वृद्धि की जाएगी. 

🇮🇳 कहां जरूरत पड़ रही है तांबा की? 🇮🇳

   भारत एक तेजी से बढ़ते हुए अर्थव्यवस्था है. यहां स्मार्ट सिटी, राष्ट्रीय राजमार्ग  और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की विकास की अत्यधिक संभावनाएं हैं. 

* वर्ष 2032 तक भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा से 500 गीगावॉट उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है. 
      तांबा की चालकता प्रतिरोध गुण और रीसाइकलिंग की क्षमता के कारण नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में इसकी आवश्यकता पड़ेगी. 
* अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार तांबा सौर पैनल, पवन टरबाइन और इलेक्ट्रिक वाहन में इस्तेमाल होने वाली बैटरी के लिए तांबा आवश्यक धातु है. 

🇮🇳 खपत और उत्पादन🇮🇳
            
        वित्तीय वर्ष 2023 24 में भारत में परिष्कृत तांबे की खपत 8.5 लाख टन थी जो 2017 के अपेक्षा लगभग दोगुनी है. 
     2030 तक 2030 तक तांबा की मांग लगभग 16 लाख टन तक पहुंच सकती है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में 17 लाख टन की अतिरिक्त मांग भी संभव है.

👉 भारत में तांबा का प्रति व्यक्ति खपत वर्तमान में 0.5 किलोग्राम है लेकिन 2047 तक के 3.2 किलोग्राम हो सकता है. 
        भारत अपने तांबा के डिमांड का अधिकांश भाग विदेश से आयात करता है. तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्मेल्टर बंद होने के बाद भारत को प्रत्येक वर्ष लगभग 10 अरब डॉलर के तांबे का निर्यात करना पड़ रहा है जिसमें सर्वाधिक जापान, तंजानिया और मोजांबिक से आता है. 

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